ब्रजेश पोरवाल-एडीटर &चीफ टाइम्स ऑफ आर्यावर्त 7017774931

इटावा।आज उत्तर प्रदेशीय जूनियर हाईस्कूल (पूर्व माध्यमिक) शिक्षक संघ ने जिलाधिकारी के माध्यम से माननीय प्रधानमंत्री एवं माननीय मानव संसाधन मंत्री को सम्बोधित ज्ञापन अपराह्न 3 बजे दिया। जिसमे जनपद के सैकड़ो शिक्षकों शिक्षिकाओं कर्मचारियों ने प्रतिभाग।
प्रांतीय उपाध्यक्ष गौरव पाठक ने कहा कि
केंद्र सरकार द्वारा 10 अगस्त 2017 को राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) कानून में किए संशोधन के विरुद्ध निर्णायक आंदोलन चलाया जा रहा है। इस संशोधन ने सभी बेसिक शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) अनिवार्य कर दिया, जिसमें 2010 से पहले नियुक्त शिक्षकों को भी शामिल किया गया, जिन्हें पहले इससे छूट प्राप्त थी।
जिला अध्यक्ष संजय द्विवेदी ने इसे शिक्षकों की पीठ में छुरा घोंपने की साजिश करार दिया है। 1 सितंबर 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने इस संशोधित कानून के आधार पर फैसला सुनाया, जिसमें कहा गया कि जिन शिक्षकों की सेवा में पांच साल से अधिक समय बचा है, उन्हें दो साल के भीतर टीईटी पास करना होगा, अन्यथा उनकी नौकरी खतरे में पड़ सकती है। इस फैसले ने शिक्षक समुदाय में आक्रोश पैदा कर दिया है। उनका कहना है, सरकार ने संशोधन को गोपनीय रख जानबूझ कर शिक्षक हितैषी सरकार होने को लेकर अंधेरे में रखा गया।
रामजनम सिंह मंडल उपाध्यक्ष कानपुर ने कहा कि इस काले कानून को रद्द करने की मांग मजबूती से उठाई है।यह कानून शिक्षकों के वर्षों के अनुभव और समर्पण का अपमान है। हम इसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेंगे।
अजय यादव अध्यक्ष अटेवा ने कहा कि हम सभी शिक्षक सरकार से अध्यादेश के जरिए काले कानून को निष्क्रिय करने और संसद में इसे निरस्त करने की मांग करते है । सरकार ने देश भर के करोड़ों परिवारों का जीवन संकट में डाल दिया है, तो उबारना भी उसकी जिम्मेदारी है।
बसरेहर ब्लाक अध्यक्ष विनय दीक्षित ने कहा कि एनसीटीई में संशोधन का ग्रामीण शिक्षकों पर सबसे ज्यादा असर पड़ रहा है। यह कानून विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में कार्यरत शिक्षकों के लिए घातक साबित होगा, जहां कोचिंग, इंटरनेट और अध्ययन सामग्री की कमी है। कई शिक्षक, जो 20-25 साल से पढ़ा रहे हैं, इसे अपनी योग्यता और अनुभव का अपमान मानते हैं। उनकी सेवा का रिकॉर्ड ही उनकी योग्यता का प्रमाण है।
अच्युत त्रिपाठी ब्लाक अध्यक्ष ताखा ने कहा कि बेसिक शिक्षकों का अस्तित्व बचाने के लिए हम तन, मन, धन से इस लड़ाई को लड़ेंगे और जीत हासिल करेंगे। सरकार और सुप्रीम कोर्ट से मांग करते है कि इस संशोधन को तत्काल रद्द किया जाए, अन्यथा देश भर में शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर संकट मंडरा सकता है। ज्ञापन देने वाले प्रतिनिधि मंडल में
जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ ने जिलाधिकारी कार्यालय में ज्ञापन दिया।
आज उत्तर प्रदेशीय जूनियर हाईस्कूल (पूर्व माध्यमिक) शिक्षक संघ ने जिलाधिकारी के माध्यम से माननीय प्रधानमंत्री एवं माननीय मानव संसाधन मंत्री को सम्बोधित ज्ञापन अपराह्न 3 बजे दिया। जिसमे जनपद के सैकड़ो शिक्षकों शिक्षिकाओं कर्मचारियों ने प्रतिभाग।
प्रांतीय उपाध्यक्ष गौरव पाठक ने कहा कि
केंद्र सरकार द्वारा 10 अगस्त 2017 को राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) कानून में किए संशोधन के विरुद्ध निर्णायक आंदोलन चलाया जा रहा है। इस संशोधन ने सभी बेसिक शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) अनिवार्य कर दिया, जिसमें 2010 से पहले नियुक्त शिक्षकों को भी शामिल किया गया, जिन्हें पहले इससे छूट प्राप्त थी।
जिला अध्यक्ष संजय द्विवेदी ने इसे शिक्षकों की पीठ में छुरा घोंपने की साजिश करार दिया है। 1 सितंबर 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने इस संशोधित कानून के आधार पर फैसला सुनाया, जिसमें कहा गया कि जिन शिक्षकों की सेवा में पांच साल से अधिक समय बचा है, उन्हें दो साल के भीतर टीईटी पास करना होगा, अन्यथा उनकी नौकरी खतरे में पड़ सकती है। इस फैसले ने शिक्षक समुदाय में आक्रोश पैदा कर दिया है। उनका कहना है, सरकार ने संशोधन को गोपनीय रख जानबूझ कर शिक्षक हितैषी सरकार होने को लेकर अंधेरे में रखा गया।
रामजनम सिंह मंडल उपाध्यक्ष कानपुर ने कहा कि इस काले कानून को रद्द करने की मांग मजबूती से उठाई है।यह कानून शिक्षकों के वर्षों के अनुभव और समर्पण का अपमान है। हम इसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेंगे।
अजय यादव अध्यक्ष अटेवा ने कहा कि हम सभी शिक्षक सरकार से अध्यादेश के जरिए काले कानून को निष्क्रिय करने और संसद में इसे निरस्त करने की मांग करते है । सरकार ने देश भर के करोड़ों परिवारों का जीवन संकट में डाल दिया है, तो उबारना भी उसकी जिम्मेदारी है।
बसरेहर ब्लाक अध्यक्ष विनय दीक्षित ने कहा कि एनसीटीई में संशोधन का ग्रामीण शिक्षकों पर सबसे ज्यादा असर पड़ रहा है। यह कानून विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में कार्यरत शिक्षकों के लिए घातक साबित होगा, जहां कोचिंग, इंटरनेट और अध्ययन सामग्री की कमी है। कई शिक्षक, जो 20-25 साल से पढ़ा रहे हैं, इसे अपनी योग्यता और अनुभव का अपमान मानते हैं। उनकी सेवा का रिकॉर्ड ही उनकी योग्यता का प्रमाण है।
अच्युत त्रिपाठी ब्लाक अध्यक्ष ताखा ने कहा कि बेसिक शिक्षकों का अस्तित्व बचाने के लिए हम तन, मन, धन से इस लड़ाई को लड़ेंगे और जीत हासिल करेंगे। सरकार और सुप्रीम कोर्ट से मांग करते है कि इस संशोधन को तत्काल रद्द किया जाए, अन्यथा देश भर में शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर संकट मंडरा सकता है। ज्ञापन देने वाले प्रतिनिधि मंडल में अहसान अहमद मुन्ना ,मंजुल चतुर्वेदी संजय द्विवेदी संजय तिवारी राजेश मिश्रा राजेश जादौन दीपक राज ब्रजेश तिवारी,राघवेंद्र दिलीप वर्मा सर्वेश दुबे प्रमोद यादव रविंद्र पालीवाल नीरज अग्निहोत्री मनोज शंखवार मनोज तिवारी विजय तिवारी देवेंद्र यादव लक्ष्मी आर्य अजरा वसीर नीरज यादव राफिया बेगम कश्मीर सिंह यादव अनार सिंह प्रमोद त्रिपाठी कमलाकांत त्रिपाठी संजीव कुमार जितेंद्र राठौर सुनील कुमार राजीव रवि शंकर अवनीश प्रमोद यादव भानु अवस्थी ब्रह्मकुमार सुदेश संजीव राजीव वर्मा संजय दुबे मनोज तिवारी अनूप दीक्षित प्रमोद त्रिपाठी सहित जिला व ब्लाक कार्यकारणी के पदाधिकारी सम्मिलित रहे।