यूरिया खाद को लेकर हाहाकार, समिति पर किसानों का फूटा गुस्सा

ब्रजेश पोरवाल-एडीटर चीफ टाइम्स ऑफ आर्यावर्त 7017774931

भरथना। धान और बाजरे की फसल में खाद डालने का समय चल रहा है। किसान खेतों में मेहनत कर अन्न उपजा रहे हैं, लेकिन खाद की किल्लत ने उनकी नींद उड़ा दी है। सरकारी संघ समितियों व क्रय-विक्रय केंद्रों पर किसानों की लंबी कतारें लगी हैं। किसान सुबह से शाम तक पसीना बहा रहे हैं, फिर भी यूरिया की बोरी उनके हाथ नहीं लग रही। दूसरी ओर, प्राइवेट खाद विक्रेता मनमानी वसूली कर रहे हैं।

शुक्रवार को बालूगंज स्थित क्रय-विक्रय केंद्र पर हालात और बिगड़ गए। सुबह से ही पुरुषों और महिलाओं की भीड़ केंद्र पर जमा हो गई। किसान सुबह 8 बजे से लाइन में खड़े रहे, लेकिन ग्यारह बजे तक केंद्र पर ताला लटकता रहा। गुस्साए किसान धूप में खड़े-खड़े चिल्लाते रहे कि जब समय पर खाद ही नहीं मिलेगा तो उनकी मेहनत पर पानी फिर जाएगा।

करीब साधे ग्यारह बजे जब केंद्र खुला तो वितरण शुरू हुआ। लेकिन किसानों की शिकायत रही कि समस्या जस की तस है। किसानों का कहना था कि उन्होंने एक दिन पहले ही आधार कार्ड व खतौनी की प्रतियां जमा कर दी थीं, लेकिन उन्हें खाद नहीं मिली।

किसानों की व्यथा

रमायन गाँव के परशुराम ने कहा – मैं पिछले चार दिन से खाद के लिए परेशान हूँ, आधार कार्ड जमा करने के बाद एक बोरी भी नहीं मिली। सुबह आठ बजे से भूँखा प्यासा यहाँ खड़ा हूँ लेकिन अभीतक खाद नही मिल सकी है.

नगला मोहन गाँव के रुआब सिंह बोले – मैं कल सुबह से परेशान हूँ कागज़ जमा कर लिए गये लेकिन अभी तक खाद नही मिल सकी है. समिति के बार-बार चक्कर लगाने के बाद भी खाली हाथ लौटना पड़ रहा है।”

बिरसिंहपुर के ओंकार ने बताया कि – किसानो की तरफ कतई ध्यान नहीं दिया जा रहा है, किसान खाद लेने के लिए परेशान हैं सुबह से भूखे प्यासे लाइन में खड़े हुए है लेकिन अभी तक खाद नहीं मिल सकी है.

उखर्रा गांव की कृष्णा देवी सुबह 8 बजे से केंद्र पर खड़ी रहीं। गुस्से में बोलीं – “एक बोरी खाद के लिए घंटों से भूखे-प्यासे लाइन में खड़ी हूं। समिति किसानों की बदहाली पर ध्यान ही नहीं दे रही।”

बालूगंज क्रय-विक्रय केंद्र के सचिव हरेन्द्र सिंह ने फोन पर बताया कि बुधवार को केंद्र पर 300 बोरी खाद आई थी। गुरुवार को 113 बोरी वितरित की गईं और शेष 187 बोरी शुक्रवार को दी जा रही हैं। उन्होंने कहा कि आधार कार्ड और खतौनी की प्रतियां लेकर किसानों को आवश्यकता अनुसार एक या दो बोरी खाद दी जा रही है।

प्रशासन पर उठे सवाल

किसानों ने सवाल उठाया कि जब हर साल सरकार खाद का पर्याप्त कोटा भेजने की बात करती है तो फिर धरातल पर किल्लत क्यों होती है? क्यों समितियां भेदभाव कर “अपनों” को फायदा पहुंचाती हैं और सामान्य किसान को दर-दर भटकना पड़ता है? गांवों से आए किसानों ने प्रशासन से मांग की है कि उन्हें तुरंत खाद उपलब्ध कराई जाए और समिति के जिम्मेदार लोगों पर सख्त कार्रवाई हो, ताकि भविष्य में ऐसी मनमानी न हो सके।

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